Friday, September 12, 2025

आभाळ

आभाळाची छाया | ‌धरतीची माया
पलटते काया ‌‌ | ‌निसर्गाची ||१||

सहा वर्णी ऋतू | ‌टिपती सोहळा
लागतसे लळा. | ‌मानवास. ||२||

नभी इंद्रधनू. | ‌विज वाजे वेणू
ढगातले रेणू. | ‌बरसती. ||३||

सूर्य चंद्र राजे | लपंडाव खेळ
बसेनाच मेळ | ‌ऋतूमास ||४||

घनःश्याम गर्जे | देई शितलता
भाव निर्मलता | ‌पावसात. ||५||

गौर वर्णी नभ | गरजे फुकात
करी उल्कापात ‌| तप्त उन्ही ||६||

सांज होता रवी | लुप्तती नभात
सांज भरोशात | ‌निशिकांत. ||७||

आभाळाशी नाते | घरटे अंबरी
मानव विसरी ‌‌. | मोहापायी ||८||

शोभा कोठावदे

– रचना : सौ शोभा प्रकाश कोठावदे. नवी मुंबई
– संपादन : देवेंद्र भुजबळ. ☎️ 9869484800

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