आभाळाची छाया | धरतीची माया
पलटते काया | निसर्गाची ||१||
सहा वर्णी ऋतू | टिपती सोहळा
लागतसे लळा. | मानवास. ||२||
नभी इंद्रधनू. | विज वाजे वेणू
ढगातले रेणू. | बरसती. ||३||
सूर्य चंद्र राजे | लपंडाव खेळ
बसेनाच मेळ | ऋतूमास ||४||
घनःश्याम गर्जे | देई शितलता
भाव निर्मलता | पावसात. ||५||
गौर वर्णी नभ | गरजे फुकात
करी उल्कापात | तप्त उन्ही ||६||
सांज होता रवी | लुप्तती नभात
सांज भरोशात | निशिकांत. ||७||
आभाळाशी नाते | घरटे अंबरी
मानव विसरी . | मोहापायी ||८||

– रचना : सौ शोभा प्रकाश कोठावदे. नवी मुंबई
– संपादन : देवेंद्र भुजबळ. ☎️ 9869484800