Sunday, October 19, 2025
Homeसाहित्यश्रद्धा के फूल

श्रद्धा के फूल

ठंडी ठंडी बर्फीली वादियों में
घूम रहे थे दोनों,
दिल धड़क रहे थे दोनों के
प्यार भरे, उमंगों के
नाजूक प्रीत दिल छूना चाहते
नई जिंदगी की नई मंजिल कितने रंगिन,
अपने ही ख्वाबों को सजाते
चिनार की फुसफुसाहट को
हौले से गले लगातें

क्यों आये कहीं से वे
बंदूक धारी, नफ़रत भरे शख्स
कश्मीर की खूबसूरत हरी हरी वादियों में
छिटक गया लहू का रंग
सैलानियों की किलकारियां
हो गई शांत, शांत, स्तब्ध
अभी अभी तो हँस रहे थे
क्यों हुआ ऐसा अंत

आसमान भी हुआ विकल
देश मे छाया शोक
स्वर्ग देखने, करने अटखेली आने वाले को
क्यों मिली दर्दनाक मौत ?

दहशतवादियों, सुन लो तुम भी
अब नहीं बहेंगे आंसू
श्रद्धा के ये फूल चढ़ाकर, लेंगे नए वचन
अब नही लिखेगा कोई, ऐसी कहानी गर्द की
चिनार फिर से मुस्काएगा, वादियाँ झूमेंगी हरी

स्वाती वर्तक

— रचना : सौ. स्वाती वर्तक. मुंबई
— संपादन : देवेंद्र भुजबळ.
— निर्माती : सौ अलका भुजबळ. ☎️ 9869484800

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -
- Advertisment -
- Advertisment -

Recent Comments

ॲड.श्रध्दा बापूसाईनाथ राऊळ. आरवली.. on माणसांच्या गर्दीतूनी या…!!
संदीप सुरेंद्र भुजबळ on नगर अभियंत्याचा अभंग
Dattatray Babu Satam on झेप: ६
Madhavi Sule on झेप: ६
उपेंद्र कुलकर्णी on निसर्ग  कोप
Rushikesh Canada on निसर्ग  कोप
Upendra Kulkarni on निसर्ग  कोप
शिवानी गोंडाळ,मेकअप आर्टिस्ट, दूरदर्शन on नवरात्र : नववे रुप
Mohana Karkhanis on निसर्ग  कोप