क्या था कसूर मेरा ?
क्यों मुझे अनाथ बनाया
क्या हम कर रहे थे
किसी को परेशान
क्यों हमे निशाना बनाया ?
तुम कहलाते हो बंदे पाक के
क्यों नापाक काम किया ?
क्या बिगड़ा था मां ने मेरी तुम्हारा ?
क्यों उसको बेवा बनाया ?
धर्म की बातें करते हो तुम
मेरे धर्मने तुम्हारा
क्या बिगाड़ा था ?
कौन सा भगवान हुआ है खुश ?
जब बेगुनाहों का खून गिराया था।
मैं, मेरी मां और मेरे जैसे कई
आज नहीं कल इस दुख से उबर जाएंगे
लेकिन याद रखो नामर्दों
तुम्हारे ख्वाब मेरी मां छीनने में
कभी न पूरे हो पाएंगे।
उलटा तुम्हारे कदमों ने
मेरे जैसे सनातनीओके अंदर
जो प्यार की भाषा करता था
भर दिया अब धर्म का जहर।
अब दिन एक ऐसा आयेगा
तेरा कर्म ही तुझे मारेगा
गिड़गिड़ाएगा तू मरने के लिए
पर तुझे मौत का
कंधाभी न मिल पाएगा।
— रचना : सौ. अनला बापट. अहमदाबाद
— संपादन : देवेंद्र भुजबळ.
— निर्माती : सौ अलका भुजबळ.☎️ 9869484800
👌👌👌👌 हृदयस्पर्शी रचना